A Bitter Truth (Sad love) Poem by Avtar Surothiya
A Bitter Truth
कुछ करके आगे बढ़ तो जाता है इंसान,
पर कुछ बाते और कुछ भाव साथ रह जाते है।
किसी तरह जी तो रहा होता है
पर मुस्कुराहट, यादें और सपने पीछे रह जाते है
तुम हँसी ढूढ़ते हो, खुश रहने की कोशिश मैं हो
बहा चुके हो यादों के तिनके अचल सी गंगा की धारा मैं
लगा दिया है तन और मन संसार के अनेक कामों मैं
पर जो कभी उठाते हो सर को अपने उस अनंत अम्बर मैं
तो वही तिनके ओस की बूँदे बनकर चेहरे पर फिर आ जाते है
कुछ करके आगे बढ़ तो जाता है इंसान........
कहते हैं हर गलती के पीछे कोई वजह होती है ,
पर क्या सिर्फ किस्मत ओर समय के पाश को दोष देना काफी होगा।
क्या इस गहन सी भूल मैं गलती तुम्हारी ना रही
जो बह जाने दिया तुमने उस मोती से पानी की हर एक बूंद को कलश के खाली हो जाने तक।
कभी भी किसी नादान का दिल मत दुखाना ,
क्योंकि ये बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाते है और आज किसी का दिल दुखाकर उछलने वाले कल को अकेले राह जाते हैं।
कुछ करके आगे बढ़ तो जाता है इंसान.........
कुछ अधम पाप हैं जिनकी कोई माफी ही नही,
ओर दिल का बिखरना इस सूची की चोटी पर आता है।
रह लेती है यह देह कई बिमारियों ओर दुःखों के साथ भी,
पर दिल के टूटने पर इंसान ही टूट जाता है।
तेरी नज़र मैं जो सबसे बड़ी सज़ा है वो देदे मुझे ऐ मालिक,
क्योंकि ये संसार और घरबार अब काटने लगा है,
पश्चताप की अग्नि मैं पल पल जलते ही जाते है ।
कुछ करके आगे बढ़ तो जाता है इंसान,
पर कुछ बातें और कुछ भाव साथ रह जाते है।
फिर किसी तरह जी रहा होता है ,
पर मुस्कुराहट, यादें ओर सपने पीछे रह जाते है।
By:
Avtar Surothiya
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